गरम कचौड़ी यदि सिंकी , बाकी सब फिर फेल (कुंडलिया)
23/202. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
काश! तुम हम और हम हों जाते तेरे !
आलोचक-गुर्गा नेक्सस वंदना / मुसाफ़िर बैठा
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
गंदा धंधा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आज के लिए जिऊँ लक्ष्य ये नहीं मेरा।
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
साज सजाए बैठा जग के, सच से हो अंजान।
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
इश्क़ के नाम पर धोखा मिला करता है यहां।
मेरी निजी जुबान है, हिन्दी ही दोस्तों