अगीत कविता : मै क्या हूँ??
पुण्यतिथि विशेष :/ विवेकानंद
Tum ibadat ka mauka to do,
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ।
आसमां में चांद प्यारा देखिए।
तेरे संग बिताया हर मौसम याद है मुझे
यादों के अथाह में विष है , तो अमृत भी है छुपी हुई
*आए सदियों बाद हैं, रामलला निज धाम (कुंडलिया)*
भारत का सामार्थ्य जब भी हारा
दोस्तो जिंदगी में कभी कभी ऐसी परिस्थिति आती है, आप चाहे लाख
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं