दुःख बांटने से दुःख ही मिलता है
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
पहले साहब परेशान थे कि हिन्दू खतरे मे है
वक्त तुम्हारी चाहत में यूं थम सा गया है,
पते की बात - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
उपदेशों ही मूर्खाणां प्रकोपेच न च शांतय्
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुहब्बत की लिखावट में लिखा हर गुल का अफ़साना
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
मंजिल यूँ ही नहीं मिल जाती,
🥀 * गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*धन्य विवेकानंद प्रवक्ता, सत्य सनातन ज्ञान के (गीत)*
सुभद्रा कुमारी चौहान जी की वीर रस पूर्ण कालजयी कविता