शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
मायावी मन,अति कामी तन,व्यभिचारी ज़न,दुखकारी।
माया माला,गन्दा प्याला,कभी न होता,सुखकारी।
मोहक वाचन,परहित याचन,दिल को छूता,उपकारी।
प्रभु आराधन,शिव पीठासन,निर्मल मानस,भयहारी।
देह विरागी,ज़न अनुरागी,है बड़भागी,मनहारी।
पूर्ण समर्पण,भोग विकर्षण, सब कुछ अर्पण,शिवधारी।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र,हरिहरपुर,वाराणसी 221405