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1 Jan 2025 · 1 min read

!! शुभकामनाएं !!

कौन वंचित यहां नव-उन्मेष से।
कौन रहित है यहां जग-द्वेष से।।
नही परिचय होता मात्र भेष से।
पहचान बने यहां कर्म-विशेष से।।

हो न हो सर्वचेष्टाएं फलीभूत यहां।
नही कोई कर्म-सिद्धि अछूत यहां।।
जो भी रहे कर्मक्षेत्र में आहूत यहां।
वही है अटल-अजय अवधूत यहां।।

मृत्यु मुकुट है जीवन का न भंगार।
सजे करने जीवन का पूर्ण श्रंगार।।
छोड़ जाना है उसे भी यही उतार।
फिर कैसी आशंका कैसा अहंकार।।

एकल ही नही यहां बहु-विकल्प है।
युक्तियां सकल एकल दृढ़संकल्प है।।
विद्यता वृहद-विस्तृत नही अल्प है।
नित-नव पथ-प्रशस्त नव प्रकल्प है।।

ये स्पर्धा प्रतिस्पर्धा ही जग रीत है।
रणरत जो रहते बनते रणजीत है।।
हार-जीत, दुख-सुख तो यहां मीत है।
यहां चलते रहना ही जीवन गीत है।।

सहर्ष संघर्ष स्वीकार जो है करते।
अंग अनल अंगीकार जो है करते।।
पर-पीड़ा पर प्रतिकार जो है करते।
मानवता का सत्कार वो है करते।।

यह हैं क्षणभंगुर जीवन के धागे।
कौन जानता पल क्या है आगे।।
यदि जान गए जीवन क्या मांगे।
तो समझ लीजिए भाग है जागे।।

समय की गणना का है नया वर्ष।
नव प्रवेश-परिवेश का है नया हर्ष।।
पार्श्व-परोक्ष में भी एक नया संघर्ष।
जीतने में जिसे होगा नया उत्कर्ष।।

ये शुभकामनाएं देने के साथ-साथ।
शुभ कार्यों में भी देना होगा साथ।
मिलजुल कर के बंटाना होगा हाथ।
बनना होगा अगर अनाथ का नाथ।।
~०~
नववर्ष की शुभ कामनाएं।© जीवनसवारो

Language: Hindi
32 Views
Books from Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
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