शीर्षक -सावन में हरियाली!
शीर्षक -सावन में हरियाली!
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सावन के मौसम में ,झम -झम मेघ बरसते।
बिजली जोरों से कड़के ,आकाश गरजते।।
गिरती बूंँदें तरूओं पर हिम सी चमके।
कारे बदरा उमड़ -घुमड़ गगन में दमके
जल की बौछारें धरा पर ,झर -झर गिरती।
खुश हो मोर नृत्य कर ,उर को विभोर करती।।
हरियाली को देख खग ,बहुत खुश होते।
तरूओं को झूम देख ,मन में हर्षाते।।
दादुर, झिंगुर, कोयल,पपीहे टेर सुनाते।
आसमान में बादल गड़ -गड़ गर्जन करते।।
प्यासी धरा ने धानी चुनरिया ओढ़ी है।
सतरंगी इन्द्रधनुषीं लहरें अंबर में दौड़ी हैं।।
झूलों पर गोरी इठलाकर गीत गाती हैं।
पिया बसे मन में इसलिए!खुश हो जातीं हैं।।
सभी सुहागन उपवास रखें !पिया रहें,
सदा ही पास।
उनकी लम्बी उम्र की मांँगतीं दुआ,
और करें सोलह श्रृंगार वो खास।।
नारी के हाथों में मेंहदी ,सावन में
रच जाती है।
आंँखों में सपने साजन के, सजाकर
खुश हो जाती हैं!
पहली बारिश में मन प्रफुल्लित हो जाते हैं।
चहुँ और धरा पल्लवित होती, दरख़्त
मुस्कातें हैं!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर