शीर्षक -शबरी राह निहारे!
शबरी राह निहारे
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शबरी तेरी राह निहारे राम
हर -पल पुकारे राम -राम ।
सुमिरन करती पथ निहारे,
आ जाओ मेरे प्रभु श्रीराम।
आकर भक्तन को दर्श दे दो,
अँखियों को मिले आराम।।
कुटिया को पलकों से बुहारा,
तुम्हारे इंतज़ार में है श्रीराम।
सुबह -शाम मैंने पथ निहारा,
बन जाएँ मेरे बिगड़े सब काम।
राहों में अनंत पुष्पों को बिछाया,
काँटा कोई भी चुभने नहीं पाए।
आहट जब भी कोई आती मुझे,
श्रीराम का चेहरा नजर आए ।।
सब पर कृपा बरसा कर अपनी,
तुमने दानव -असुरों को है तारे।
डगमग होती नैया जिसकी प्रभु,
उनको भव सागर से पार उतारे।
झूठे बेर शबरी के खाए तुमने,
शबरी को प्रभु तुमने ही तारा।
श्रीराम चरण की रज मिल जाए,
मस्तक तिलक लगाए जग सारा!!
शबरी तेरी राह निहारे राम!
हर-पल पुकारे राम-राम!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर