शीर्षक -मां का आंचल
शीर्षक -मां का आंचल
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विधा -कविता
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मां तेरे आंचल में हमने,सारी खुशियां पाईं।
मां होती वृक्ष हरा-भरा, जिसमें हमने छांव पाई।।
मां होती प्रथम पाठशाला, जिससे शिक्षा हमने पाई।
मां ही होती गुरु हमारी, जिसने ज्ञान की ज्योति जगाई।
जीवन के पथ में हमको, चलना सिखाती है मां।
कष्टों में तुम न घबराना,ऐसी सीख देती है मां।।
जीवन के सुख-दुख में, सदा साथ देती है मां।।
पिता आसमान होते, तो धरती होती
है मां।।
मां के आंचल में , सुकून बहुत मिलता है।
मां तेरे चरणों में हमको, चारों धाम दिखता है!!
मातृ दिवस की हार्दिक
शुभकामनाएं।
मां तुझे सलाम!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर