शीर्षक -बच्चों का संसार पिता!
शीर्षक -बच्चों का संसार पिता
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माँ धरा तो आसमान होतें हैं पिता।
बच्चों का पूरा संसार होतें हैं पिता।।
बचपन में उंँगली पकड़ जो चलाते थे।
आज वही पथ प्रदर्शक हैं पिता।।
जब मैं थक के हार जाती तो।
मेरी ताकत बन जाते हैं पिता।।
हम बच्चों के लिए तप कर सदा।
अपनी पीड़ा भूल जाते हैं पिता।।
घर की खुशी और मांँ के शृंगार का।
एक अनमोल ताज होतें हैं पिता!!
सुषमा सिंह*उर्मि,,