शीर्षक: बंधन पापा बेटी का
शीर्षक: बंधन पापा बेटी का
एक न्यारा सा प्यारा सा बंधन देखो
हम दोनों का दुलार प्यार भरपूर दोनो का
आज भी पापा इंतजार आपका क्योंकि
बंधन पापा बेटी का…!
मेरे दुख में नयनो में पानी आपके
आपके जाने से नयन भरे पानी से
शब्दो का तार आज जोड़ती हूँ
बंधन पापा बेटी का…!
चाँद को निहारती हूँ आज भी रोज
यही सोच कि आप भी देख रहे हैं उसकी और
आसमान से जोड़ती हूँ दोनों का रिश्ता क्योंकि
बंधन पापा बेटी का…!
हवा की शीतलता में महसूस आप होते है
आपके नेह की शीतलता याद आती हैं
आपके स्नेह की बयार अब अधूरी हैं क्योंकि
बंधन पापा बेटी का…!
आज भी डरती हूँ अंधेरे से मैं
सोच कि आप साथ होंगे ही मेरे
सम्बल सा मिलता हैं आज भी क्योंकि
बंधन पापा बेटी का…!
रात होने पर याद आपकी आती हैं
वही लोरी कहानियां आज भी याद आती हैं
किस्से आज भी नए लगते हैं क्योंकि
बंधन पापा बेटी का…!
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद