शीर्षक: पापा आपके जाने का मलाल
शीर्षक: पापा आपके जाने का मलाल
कितनी खामोशी से आप मुँह मोड़ गए
फिर कभी न दिखने के लिए चले गए
बिन कहे बिना मिले ही न जाने कहाँ चले गए
यही मलाल रहा मुझको क्यो छोड़ गए
एक बार तो दी होती आवाज
दौड़ आती बेटी आपने पास
चुपके से क्यो निकले आप
यही मलाल रहा मुझको क्यो छोड़ गए
ढूंढती रही आपको मेरी निगाहें
अभी भी नही तलाश हुई पूरी
अब भी लगता है कि कब मिलोगे
यही मलाल रहा मुझको क्यो छोड़ गए
फिर भी मेरा तलाशना नही गया
आप लौट आएंगे यही लगता हैं आज भी
चुपके से आ जाओगे आप यही सोच मेरी
यही मलाल रहा मुझको क्यो छोड़ गए
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद