शीर्षक – चाय
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शीर्षक – चाय
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चाय तो हम पहचानते हैं।
रिश्ते नाते और दोस्ती चाय हैं।
सुबह की चाय चाहत देती हैं।
चाय ही तो मन भाव बनातीं हैं।
सुबह शाम सुहानी चाय होती हैं।
चाय का कप हमें मन भाता है।
आधुनिक युग में भी चाय पीते हैं।
हम सबको चाय की चुस्की भाती हैं।
जीवन जिंदगी में रिश्ते चाय बनाती हैं।
एक सच चाय एक-दूसरे को मिलाती हैं।
चाय तो हम सबके साथ साथ रहती हैं।
आओ मिलकर एक चाय पीते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र