शीर्षक: आप समझोगे पापा
शीर्षक: आप समझोगे पापा
मेरा दुःख आप समझोगे जरूर पापा
आपके बिना नही अब कोई मेरा
बिन बोले ही समझोगे पता है मुझे
तभी तो स्वप्न में दिखोगे मुझे
पापा आप समझोगे मुझे
मैं शायद कुछ भी न कह पाऊंगी
पर आप अनकहे ही जज्बात समझ जाओगे
कोशिश करती हूँ खुद को संभालने की
पर न जाने क्यों बीती बाते ही याद आती हैं
आप समझोगे पापा
नींद की आगोश में आते ही चले आना
मेरी सभी परेशानी को हल कर जाना
नींद से जागू तो अपने लोक चले जाना
पर मुझे दर्शन जरूर स्वप्न में दे जाना
आप समझोगे पापा
बड़ी मुशिकल हैं आपके बिन जीना
नही हैं कोई भी अब कहने वाला कि
मैं हूं तू निश्चिंत,बेफिक्र तू रहना
मेरी हर मुसीबत में आपका साथ होना
आप समझोगे पापा
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद