शीर्षक:शोर सा क्यूँ हैं पापा
शीर्षक:शोर सा क्यूँ हैं पापा
ये अजीब सा शोर क्यूँ हैं पापा…
मेरे दिल मे आज एक तूफान सा हैं
एक शोर हैं अनजाना सा
शायद इसलिए मुझे कुछ अजीब सी
डरावनी सी एक तस्वीर नजर आ रही हैं
ये अजीब सा शोर क्यूँ हैं पापा…
जो शोर सा कर रही हैं भीतर ही
एक शोर भयावह सा…
लग रहा है मानो सब छूटा जा रहा है
मैं क्यो पकड़ नही पा रही हूँ,
ये अजीब सा शोर क्यूँ हैं पापा…
समझ नही पा रही हूँ क्या हो रहा है ये..?
मुझसे क्यो सब छुटा सा जा रहा है
क्यो खुशियां रुक नही रही हैं नजदीक मेरे
एक शोर भयावह सा…
ये अजीब सा शोर क्यूँ हैं पापा…
मानो सब जुदा होना चाहते हैं मुझसे
क्यो वो भी रूठा मुझसे जो करीब था दिल के
आखिर कसूर क्या है मेरा
जो तुम भी दूर हो रहे मुझसे
ये अजीब सा शोर क्यूँ हैं पापा…
इसलिए ही शायद तूफान सा शोर हैं मुझमे
एक शोर भयावह सा…
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद