Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2023 · 1 min read

शीर्षक:मैं स्त्री हूँ

१६-
जी हाँ मैं स्त्री हूँ….
जो मोहब्बत सिखाये मैं वहीं हूँ
हर रिश्ते को शिद्दत से निभाये वहीं हूँ
कभी बेटी तो कभी बहन रूप निभाती हूँ
माँ रूप में ममता की मूरत मैं ही नजर आती हूँ
जी हाँ मैं स्त्री हूँ…
गोद में ममत्व व आँचल में दूध लिए होती हूँ
औलाद की खुशी हर दम ढूंढती नजर आती हूँ
ईश्वर का रूप अपने स्वरूप में छिपाए रहती हूँ
हर ग़म, दर्द को सीने में छिपाए रहती हूँ
जी हाँ मैं स्त्री हूँ…
सब्र की मिशाल पैदायशी ही लिए आती हूँ
अपनो की खातिर हर मुसीबत से लड़ जाती हूँ
हर परिस्थिति में खुद ढालने का हुनर रखती हूँ
हर रिश्ते में मजबूती से खड़ी नजर आती हूँ
जी हाँ मैं स्त्री हूँ…
हौसलों से अपने तकदीर बदलना जानती हूँ
खुद की कोख से देश रक्षक पैदा करती हूँ
अपने खून से रचना रचती हूँ
अपनी परवाह किये बिना औलाद को बचाती हूँ
जी हाँ मैं स्त्री हूँ…
दुनिया रचने की ताकत मैं रखती हूँ
प्रकृति की सुंदरतम एक कृति हूँ
सुनो ए दुनिया वालो मैं एक स्त्री हूँ
सही सुना जी आपने मैं ताकतवर स्त्री हूँ
जी हाँ मैं स्त्री हूँ…
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 101 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

माना दौलत है बलवान मगर, कीमत समय से ज्यादा नहीं होती
माना दौलत है बलवान मगर, कीमत समय से ज्यादा नहीं होती
पूर्वार्थ
नज़र मिल जाए तो लाखों दिलों में गम कर दे।
नज़र मिल जाए तो लाखों दिलों में गम कर दे।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
प्रकृति प्रेम
प्रकृति प्रेम
Ratan Kirtaniya
*संस्मरण*
*संस्मरण*
Ravi Prakash
किताबें बोलती हैं …
किताबें बोलती हैं …
meenu yadav
" चलो उठो सजो प्रिय"
Shakuntla Agarwal
कुंडलिया
कुंडलिया
गुमनाम 'बाबा'
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
Rekha khichi
मैं मजदूर हूँ
मैं मजदूर हूँ
Arun Prasad
2122 1212 22/112
2122 1212 22/112
SZUBAIR KHAN KHAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
प्रेम कविता
प्रेम कविता
अंकित आजाद गुप्ता
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
****जानकी****
****जानकी****
Kavita Chouhan
गणपति बैठो जन के मन में
गणपति बैठो जन के मन में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
त्योहार का आनंद
त्योहार का आनंद
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चारों तरफ मीडिया की फौज, बेकाबू तमाशबीनों की भीड़ और हो-हल्ले
चारों तरफ मीडिया की फौज, बेकाबू तमाशबीनों की भीड़ और हो-हल्ले
*प्रणय*
*बस याद ही रह जाएगी*
*बस याद ही रह जाएगी*
Sunil Gupta
ग़ज़ल- जबसे निकला है बेवफा कोई
ग़ज़ल- जबसे निकला है बेवफा कोई
आकाश महेशपुरी
लफ़्ज़ों में आप जो
लफ़्ज़ों में आप जो
Dr fauzia Naseem shad
पूछा किसी ने  इश्क में हासिल है क्या
पूछा किसी ने इश्क में हासिल है क्या
sushil sarna
सोच बदलें
सोच बदलें
Dr. Bharati Varma Bourai
मां
मां
Shutisha Rajput
आत्महत्या कर के भी, मैं जिंदा हूं,
आत्महत्या कर के भी, मैं जिंदा हूं,
Pramila sultan
संस्कार
संस्कार
Kanchan verma
मैंने क्या कुछ नहीं किया !
मैंने क्या कुछ नहीं किया !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
जिंदगी खफा हो के किनारे बैठ गई है
जिंदगी खफा हो के किनारे बैठ गई है
Smriti Singh
4694.*पूर्णिका*
4694.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सोने के सुन्दर आभूषण
सोने के सुन्दर आभूषण
surenderpal vaidya
उदासियाँ  भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं
उदासियाँ भरे स्याह, साये से घिर रही हूँ मैं
_सुलेखा.
Loading...