शीर्षक:मेरी पहचान सिर्फ पापा से
शीर्षक:मेरी पहचान सिर्फ पापा से
आज भी घर जाती हूँ तो
पहचान आप से ही मेरी आज भी
खुद की पहचान मेरी कुछ नही
आप की दी हिम्मत ही अब
आपके बिना पहचान हैं मेरी
इस पहचान में आप ही साथ खड़े दिखते है
कैसे आसमान छूती मैं यदि आपका साथ न होता
कैसे बढ पाती इस चालाक दुनिया में
आप की सच्चाई की दी सीख ही साथ है अब
तभी तो आज भी मेरे पापा से ही पहचान है मेरी
रास्ते मिल ही गए आपके बिन पर गाइड आप ही रहे
पहचान भी मिल जाएगी राह सच्ची यदि रही मेरी
यही आपकी दी हुई सीख है मेरे लिए
राह मिलती जायेगीं यदि मन सच्चा होगा मेरा
काम से थकान ना होना ही तो मंजिल दिखाता हैं
आप की सच्चाई की दी सीख ही साथ है अब
तभी तो आज भी मेरे पापा से ही पहचान है मेरी
जो मन को भाए काम उसी में तनमन से लग जाओ
जो रास्ते चुन लिए उस पर ईमानदारी से चलते जाओ
जीवन फिर बोझ नही लगेगा,उन्नन्ति कदम चूमेगी
यही आपकी दी सीख आज काम आ रही हैं
तभी तो कहती हूं मेरी हिम्मत तो आज भी
मेरे पापा है जो पल पल साथ है आज भी मेरे
आपकी दी हुई सीख में,सच्चाई की राह पर चल
आप की सच्चाई की दी सीख ही साथ है अब
तभी तो आज भी मेरे पापा से ही पहचान है मेरी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद