शीर्षक:फक्र
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शीर्षक:फक्र
#विनम्र #श्रद्धाजंली #शहीद #दिवस
तीन युवा परिंदे उड़े तो आसमान रो पड़ा
वो हंस रहे थे मगर, हिन्दुस्तान रो पड़ा
फंदा भी चूम लिया,फूल की माला समझकर
ये सब किया तुमने, हमारी फिक्र कर
जिए तो देश के लिए,और मरे तो देश के लिए
इस महाविदाई पर देश का श्मशान रो पड़ा
फूल बिछाए गए जहाँ से, अर्थी का कारवां चल पड़ा
गर्दनों में फंदे ने भी किया होगा अभिषेक
ओजभरी कुर्बानी पर वो भी रो पड़ा होगा
हर देशवासी रोया तुम्हारे जाने पर
पर फक्र से सीना भी चौड़ा किया तुम्हारी कुर्वानी पर
उस माँ को नमन मेरा जिसने तुम्हे जन्म दिया
ऐसा बेटा जो मर कर भी नाम अमर कर गया
भगत, सुखदेव, राजगुरु दिलों में राज करोगे हमारे
२३ मार्च को अखिल भारत के वासी रो पड़े हमारे