शीर्षक:पापा वो अंतिम क्षण
बात सिर्फ ये नही कि
मुझ से भुलाया क्यो
नही जा रहा है पापा
वो अंतिम क्षण जब तुम
जा रहे थे दूर इतनी दूर
जहां हम दोनों एक साथ
फिर कभी मिल नही पाएंगे
कितना दर्द दफन हैं मेरे भीतर
बया नही किया जा सकता
उस दर्द की टीस पापा बहुत
गहरी हो गई हैं
चाहकर भी नही निकल पाती
उस गहरी खाई से मैं न जाने क्यो..?
ईश्वर की असीम लीला हैं
शायद मैं उसको समझ नही
पा रही हूँ कि क्यो आखिर क्यों?
चले गए पापा फिर कभी न दिखने को
जीवनयात्रा पर आप क्यो न
रह सके बेटी का वास्ता दे
वो भी सम्भव नही है सब
जानती हूँ पापा ये सब फिर भी
न जाने क्यो..?
भूल नही पा रही हूँ
वो अंतिम पल
जो अनाथ कर चले जा रहे थे
नितांत अकेली होने को मजबूर कर
डॉ मंजु सैनी