शीर्षक:पापा की पगली सी
शीर्षक:पापा की पगली सी
पापा की पगली सी दीवानी सी मैं
वर्षो से अंदर दफन किये यादो को
न जाने कैसे चली जा रही हूँ जीवन राह पर
सभी को साथ लिए कर्मो को करते हुए
स्वयं ही दर्द को सहते हुए
पापा की पगली सी
न जाने कैसे इतने कष्ट को लिए
सभी की इच्छाओं की पूर्ति करते हुए
चली जा रही हूँ सांसों संगत लेते हए
जीवन की उधेड़बुन करते हुए
आने सपने चुनते बुनते हुए
पापा की पगली सी
यादो में पगलाई सी घूमते हुए
प्रेम ऊष्मा ताप को सहते हुए
सुख दुख साथ लेकर चलते हुए
यादो में भीगी पागलपन लिए हुए
चली जा रही हूँ यादो की गठरी लिए हुए
पापा की पगली सी
तितली सी मंडराती हुई
आपको इधरउधर ढूंढती हुई
दीवानी सी पगलाई हुई
न जाने क्यों आपकी यादो में खोई हुई
यादो में दीवानी सी पगली सी हुई
पापा की पगली सी
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद