शीर्षक:कुछ तो लिखूँ
🙋कुछ तो लिखूँ💁
गम छुपाती रही,मुस्कुराती रही
हर हाल में मैं, मुस्कुराती रही
जिंदगी को इस तरह ,मै चलाती रही
कोई कंधा न रोने को,मिला फिर भी
आंसू पीती रही,खिलखिलाती रही
मैं हसती रही, खिलखिलाती रही।
राह जीवन की हर पल,कठिन ही रही
फिर भी हर हाल में,खुश होती रही
राह में कांटे भी बहुत,आते रहे
पैर छीलते रहे,छाले पड़ते रहे
हर डगर पे पैर, लड़खड़ाते रहे
मैं हसती रही,खिलखिलाती रही।
दर्द कितने सहे,घाव आते रहे
सहती रही बस सर,झुकाकर यही
गीत लिखती रही,गुनगुनाती रही
दर्द की आंधियो में भी,मुस्कुराती रही
गम के तुफानो में भी,मुस्कुराती रही
मैं हसती रही,खिलखिलाती रही।
जिंदगी ने मेरी,जिंदगी से कहा
क्यो करती हैं इस कदर इसको परेशान
ये सहती गयी ,सर झुकाये हुए
अब तो रहम का ,इस पर ए जिंदगी
जिंदगी जाने को हैं, जी लेने दे इसे
मैं हसती रही,खिलखिलाती रही।
दिल से लगाती दर्द, गम छुपाती रही
जो सताते गए,याद आते गए
जीवन सफर फिर भी,न था आसान
पर में खुद ही चलती गई, पार करती गई
हौसला था बुलंद ,तो चलती गई
मैं हसती रही,खिलखिलाती रही