शीर्षक:कफ़न तिरंगा
मैं नही किसी से बैर भाव रखती हूँ
बस देश के काम आ सकूँ यही भाव रखती हूँ
देश की मिट्टी माथे से लगाकर फक्र महसूस करती हूँ
प्राण देश को न्योछावर करूँ मन मे आस रखती हूँ
अपनी माँ भारती का सम्मान करती हूँ
माँ की अलग ही पहचान हो ये भाव रखती हूँ
बच्चा बच्चा देश का गुणगान करें ये चाहती हूँ
देश सेवा में मेरा ननिहाल लगे ये देखना चाहती हूँ
मेरी भूमि की पावन मिट्टी की लाग चाहती हूँ
बस स्वर्णिम देश का मैं भाव चाहती हूँ
देश स्वर्ग से सुंदर बना रहे यही चाहती हूँ
संसार मे भारत का गुणगान चाहती हूँ
मुझे मरने का ख़ौफ़ नही देशहित मरना चाहती हूँ
खून का कतरा कतरा देख के काम आए चाहती हूँ
बलिदानों की शहादत यादों में बसाना चाहती हूँ
मैं भारत वर्ष का हरदम अमिट सम्मान चाहती हूँ
मरकर भी देश के काम आ सकूँ बस यही चाहती हूँ
हर बच्चे में देश भक्ति कूट कूट कर भर दूँ चाहती हूँ
स्वर्ण सी भारत की मिट्टी को नमन करना चाहती हूँ
मरने पर कफ़न तिरंगा हो मेरा बस ये चाहती हूँ
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद