Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2022 · 2 min read

शीर्षक:कच्ची माटी सा

कच्ची माटी सा तन मन मेरा
प्रीत में तुमने रंगा उसको
चढ़ी रंगत उस पर तुम रंगते रहे
कच्ची माटी सा चढ़ गया तुम्हारे प्रीत का रंग
एक घड़े समान ही मानो कुम्हार रंगा हो उसको
उसके बाहरी रूप को संवारने के लिए कि
रंगत वह गहरे असर डाले अपने चाहने वाले पर
बस उसी तरह तुमने छोड़ी प्रीत की छाप
कच्ची माटी सा तन मन मेरा
प्रीत में तुमने रंगा उसको
मेरे अन्तस् पर नेह रंग कहीं न कहीं गहरा गया
इतना गहरे रंगा की अब छाप स्वयं की पहचान
मैं उन रंगों की छवि में देख पाती हूँ स्वयं की
मन की अन्तस् की दीवारों पर रंगों की पहचान
कौन से रंग थे यह नही देखती बस प्रीत तुम्हारी
अपने मे विस्मृत यादों की वादों की प्रीत तुम्हारी
तुम्हारे लिए वो रंग मात्र मन बहलाव की बात थी
कच्ची माटी सा तन मन मेरा
प्रीत में तुमने रंगा उसको
रंगों का कृत्रिम रूप समझकर तुमने उन्हें व्यर्थ
मुझमे इस्तेमाल कर आहत किया शायद कही
और मैंनें तो सारे रंगों को प्रीत समझ संजो रखा
वास्तविक समझ रंग डाला शायद आपने मुझकों
अपनी रूह को रंगा पाया आपकी स्नेह छाया में
अब लगता हैं मानो रंग कर खो गया मेरी प्रीत का
कल्पना भरी प्रीत में शायद कमी रही कूँची की
कच्ची माटी सा तन मन मेरा
प्रीत में तुमने रंगा उसको
उकेर नही पाए सही से दिए कुदरत जे रंग
उन्हीं रंगों में डुबोकर मैने परत पाई थी अपनी
तूलिका मेरी सूक्ष्म कल्पनाओं को रंग नही पाई
मेरे अन्तस् की भित्तियों पर आज की प्रीत के रंग
अनन्त कोमल भावनाओं को प्रीत में भीगे पाते हैं
रंग भर प्रीत का तुमने सार्थक किया था संबंध
लंबे अंतराल के बाद चढ़ा है आज भी प्रीत रंग
कच्ची माटी सा तन मन मेरा
प्रीत में तुमने रंगा उसको
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
75 Views
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

जो घनश्याम तुम होते......
जो घनश्याम तुम होते......
पं अंजू पांडेय अश्रु
स्वर्ण दलों से पुष्प की,
स्वर्ण दलों से पुष्प की,
sushil sarna
आदिवासी कभी छल नहीं करते
आदिवासी कभी छल नहीं करते
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
* बताएं किस तरह तुमको *
* बताएं किस तरह तुमको *
surenderpal vaidya
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
Ravi Prakash
जिंदगी तेरे कितने रंग, मैं समझ न पाया
जिंदगी तेरे कितने रंग, मैं समझ न पाया
पूर्वार्थ
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
आप वो नहीं है जो आप खुद को समझते है बल्कि आप वही जो दुनिया आ
Rj Anand Prajapati
छोड़ कर घर बार सब जाएं कहीं।
छोड़ कर घर बार सब जाएं कहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
तू कौन है?
तू कौन है?
Sudhir srivastava
प्रेम 💌💌💕♥️
प्रेम 💌💌💕♥️
डॉ० रोहित कौशिक
अदाकारियां
अदाकारियां
Surinder blackpen
सच तो ये भी है
सच तो ये भी है
शेखर सिंह
नेह ( प्रेम, प्रीति, ).
नेह ( प्रेम, प्रीति, ).
Sonam Puneet Dubey
#आदरांजलि-
#आदरांजलि-
*प्रणय*
गलत चुनाव से
गलत चुनाव से
Dr Manju Saini
राम आए हैं तो रामराज का भी आना जरूरी है..
राम आए हैं तो रामराज का भी आना जरूरी है..
सुशील कुमार 'नवीन'
तुमको हक है जिंदगी अपनी जी लो खुशी से
तुमको हक है जिंदगी अपनी जी लो खुशी से
VINOD CHAUHAN
जीवन की दास्तां सुनाऊं मिठास के नाम में
जीवन की दास्तां सुनाऊं मिठास के नाम में
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जूनी बातां
जूनी बातां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
ख़्वाब में हमसे मिल कभी आके ,
ख़्वाब में हमसे मिल कभी आके ,
Dr fauzia Naseem shad
अब क्या करे?
अब क्या करे?
Madhuyanka Raj
ज़िन्दगी में खुशी नहीं होती
ज़िन्दगी में खुशी नहीं होती
सुशील भारती
"इतनी ही जिन्दगी बची"
Dr. Kishan tandon kranti
रही प्रतीक्षारत यशोधरा
रही प्रतीक्षारत यशोधरा
Shweta Soni
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
चलता समय
चलता समय
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे
मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे
manorath maharaj
1
1
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
4784.*पूर्णिका*
4784.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...