Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2023 · 1 min read

शीर्षक:एकाकार…

७-
मन शांत लिए ही स्थिर सी
आज बैठ गई थी मानों एकाग्रता में
सोच पाऊँगी अपने को व अपने भविष्य को
झांक पाऊँगी स्वयं में, अपने ठहराव को
ठहराव में ही गूंज उठा मन में प्रश्न
एक हकीकत से सामना कराते हुए
सामने इस घर का मंजर देखकर
मानों साँसे तेज होकर चल पड़ी हों
ये मकान आज खंडहर सा अकेला खड़ा
देख रहा हैं अपने ढह जाने के स्वरूप को
न जाने कब अंतिम सांस ले और ढह जाएगा
कभी कहकहों से महकता होगा
परिवार संग चहकता होगा
पर आज जर्जर हालत में अकेला ही
अंतिम सफर की प्रतीक्षा में
कितनी आशाओं से कभी रखी गई होगी
इसकी भी नींव बिल्कुल मेरी तरह ही
पर आज मैं देख रही हूँ इसमें स्वयं को
मानों आज अकेली ही खड़ी कर रही हूँ
अंतिम यात्रा से पहले अपने चलने की प्रतीक्षा
आश्चर्य होता उन सभी रिश्तों पर जो साथ होते हैं
इस खंडहर की तरह ही छोड़ जाते हैं ऐसे ही
समान स्थिति नज़र आती हैं मुझे
आखिर क्या..? ठहर जाना हैं ऐसे ही,ढह जाने को
मन में अनेको प्रश्न लिए,सम्पूर्ण जीवन यात्रा के
मानों मेरा एकाकार हो रहा हो आज अंतिम यात्रा से
रूबरू हो रही थी हकीकत से आज मैं
वही जो देख रही हूँ इस खंडहर मकान को
मैं भी क्षण क्षण बढ़ रही हूँ ऐसी अवस्था में
एकाकार होने की और अग्रसर
अकेली ही ढह जाने को जीवन लीला से

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
शिक्षा तो पाई मगर, मिले नहीं संस्कार
शिक्षा तो पाई मगर, मिले नहीं संस्कार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
सत्य कुमार प्रेमी
"बदबू"
Dr. Kishan tandon kranti
Suno
Suno
पूर्वार्थ
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
जब तक जेब में पैसो की गर्मी थी
Sonit Parjapati
“ आहाँ नीक, जग नीक”
“ आहाँ नीक, जग नीक”
DrLakshman Jha Parimal
3103.*पूर्णिका*
3103.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
Keshav kishor Kumar
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
गल्तफ़हमी है की जहाँ सूना हो जाएगा,
_सुलेखा.
कली को खिलने दो
कली को खिलने दो
Ghanshyam Poddar
हर गलती से सीख कर, हमने किया सुधार
हर गलती से सीख कर, हमने किया सुधार
Ravi Prakash
विषय - पर्यावरण
विषय - पर्यावरण
Neeraj Agarwal
देखो-देखो आया सावन।
देखो-देखो आया सावन।
लक्ष्मी सिंह
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
Rj Anand Prajapati
लोकतंत्र में शक्ति
लोकतंत्र में शक्ति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
बैगन के तरकारी
बैगन के तरकारी
Ranjeet Kumar
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
मोहब्बत का वो तोहफ़ा मैंने संभाल कर रखा है
Rekha khichi
दीवाली
दीवाली
Nitu Sah
खाने को पैसे नहीं,
खाने को पैसे नहीं,
Kanchan Khanna
Asman se khab hmare the,
Asman se khab hmare the,
Sakshi Tripathi
लौ
लौ
Dr. Seema Varma
हे प्रभु मेरी विनती सुन लो , प्रभु दर्शन की आस जगा दो
हे प्रभु मेरी विनती सुन लो , प्रभु दर्शन की आस जगा दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दीपावली
दीपावली
Deepali Kalra
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
नाथ मुझे अपनाइए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
जैसे आँखों को
जैसे आँखों को
Shweta Soni
♥️♥️दौर ए उल्फत ♥️♥️
♥️♥️दौर ए उल्फत ♥️♥️
umesh mehra
कानून?
कानून?
nagarsumit326
#चिंतन
#चिंतन
*Author प्रणय प्रभात*
रोमांटिक रिबेल शायर
रोमांटिक रिबेल शायर
Shekhar Chandra Mitra
Loading...