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28 Nov 2021 · 1 min read

शीतल रक्त खोलता नही

** शीतल रक्त खोलता नहीं **
***********************

कब से सोया है जागता नहीं,
अपनों को पहचानता नहीं।

माया में फंसा हुआ अंधा,
दौलत बिन कुछ जानता नहीं।

नफरत से पूरा भरा हुआ,
कोई भाषा मानता नहीं।

सीमित है वो इस कदर हुआ,
खुद से बिन कुछ सोचता नहीं।

ईर्ष्या में जलता रहे सदा,
मन की गाँठें खोलता नहीं।

झगड़ों में मशहूर रहे,
मिलते मौक़े टालता नहीं।

हिम सा जम जाता लहू सदा,
शीतल रक्त खोलता नहीं।

मनसीरत मिलता कभी-कभी,
खुल कर है वो बोलता नहीं।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

230 Views
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