!! शिव-शक्ति !!
•• काशी नगरी त्रिशूल धरे
शशि माथे पर मुस्कान भरे
गंगाजी जटा से बहें झर-झर
जग के जैसे, सब पाप हरे
विष रोक हलाहल ग्रीवा में
‘प्रभु’ देवन के उद्धार करें
कर बजा रहे डमरू डम-डम
विषधर को गले का हार धरे
प्रभु सांवरी सी मुख मण्डल पर
अनगिनत बिजुरी प्रकाश परे
शिव-शक्ति विवाह की बेला पर”चुन्नू”
शिव चरणों को सिर-माथे धरे
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)