शिव शंकर
शिव शंकर डमरूधर।
आशुतोष संकट हर ।।
गले नाग जटा विशाल ।
कोटि सूर्य दीप्त भाल ।।
भाल चंद्र अति शोभित ।
गौरी संग छवि मोहित ।।
कर त्रिशूल बाघम्बर ।
महादेव करुणाकर ।।
भस्मी तन भोले नाथ ।
त्रिलोकी तुमसे सनाथ ।।
शीश पर श्रृंगार गंग ।
भूत प्रेत सकल संग ।।
भक्तों के प्रिय इष्ट ।
प्रभु हरते सकल कष्ट ।।
करते जो शिव की जय ।
कलि में होते निर्भय ।।