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14 Dec 2021 · 1 min read

शिक्षा संग यदि हुनर हो…

शिक्षा संग यदि हुनर हो,
तो जीवन पथ सुगम हो ।
सँवरे भविष्य तरुण का ,
जीवन में कभी ना गम हो ।

नन्हां बया का घोसला ,
गज़ब की कारीगरी है ।
तिनके समेत-समेत कर ,
हुनर की ही बाजीगरी है ।

पंक्तियों में सीधा होकर ,
चींटी हुनर दिखलाती ।
अनुशासित,संगठित रहकर,
मुश्किल सा लक्ष्य पाती ।

हुनर ही तो वो कला है,
जो नजरों को पढ़ है लेती।
आशिकी और दुशमनी को,
अंखियों से जान लेती ।

जीने का हुनर ही ,
नैया को पार लगाती ।
मुश्किल भरी डगर में ,
पतवार थामे रहती ।

जीवन के हर कला में ,
छिपा है नसीब अपना।
खामोश रहकर सोचो ,
पूरे करो सब सपना ।

कृषि कार्य का हुनर हो ,
तो मिट्टी बन जाए सोना ।
हरियाली का दामन थामों ,
छोड़ो अब रोना-धोना ।

गा लो या तुम रो लो ,
वो भी तो एक हुनर है ।
अभिनय से चलती दुनियां ,
कितना अजीब शहर है ।

जीवन भी एक सर्कस है ,
आए हैं हुनर दिखलाने ।
भांति-भांति के करिश्मों से ,
लोगों का मन बहलाने ।

प्रण कर लो तुम इसी वक़्त ,
अहमियत हुनर की समझेंगे।
हौसलों की उड़ान भरकर ,
मंज़िल पर कदम रखेंगे ।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १४ /१२ / २०२१
शुक्ल पक्ष , एकादशी , मंगलवार
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 869 Views
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