मोती के मोती
शिक्षा के बिना प्रेरणा का , औचित्य नहीं होता है।
अँधा देखे आईना तो , वो फल शून्य पिरोता है।
भैंस नहीं नाचेगी धुन पर , तुम बीन बजाओ कितनी।
मदिरा हो नियमों को छोड़ो , तलब लगी है नभ जितनी।।
पान सुरा का हो जाएगा , शारीरिक दूरी रख लो।
भला सभी का है इसमें , सब्र और थोड़ा चख लो।।
सैनीटाइज़र मास्क़ अपना , अपना शारीरिक दूरी।
फिर कोरोना औक़ात नहीं , पा ले जो मन मंजूरी।।
बुरा लॉकडाउन है समझो , देश हानि इससे होती।
हाँ ! नियम सीख लो रे पगलो ! फिर हैं मोती के मोती।।
नशा बुरा होता है ‘प्रीतम’ , यह चाहे कैसा भी हो।
बिन इसके भी आनंद मिले , यह जीवन जैसा भी हो।।
–आर.एस.प्रीतम