Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2020 · 3 min read

शिक्षा की समाज में सहभागिता

दो शब्द हैं जो प्रत्येक विद्यार्थी ने निश्चित रूप से पढ़े ही होंगे एक है ‘शिक्षा’ और दूसरा ‘विद्या’। बेशक़ शिक्षा और विद्या दोनों समान ही शब्द हैं किन्तु दोनों के अर्थ भिन्न-भिन्न हैं। शिक्षा शब्द शिक्ष् धातु में प्रत्यय ‘अ’ से बनता है जिसका अर्थ है सीखना जबकि विद्या विद् धातु से मिलकर बनी है जिसका अर्थ है जानना।

ये जो सीखने और जानने का अंतर है यहां से हम बीज रखते हैं आज के विचार ‘शिक्षा की समाज में सहभागिता’ के लिए। शिक्षा सीखने का साधन है लेकिन विद्या जानने का साधन है। शिक्षा सीमित और निश्चित है जबकि विद्या परंपरा से बाहर और असीमित है। जैसे – अभी इस मनुष्य को जानना है अंतरिक्ष का रहस्य, जीवन- मृत्यु के बीच का रहस्य और मानवता पर आने वाले संकट का रहस्य। यही कारण है शिक्षा आपको सीमित सांचे में सोचना सिखाती है जबकि विद्या आपको असीमित सांचे में सोचना।

अर्थात् पेड़ से पकने के बाद सेब नीचे गिरता है पूरी मनुष्यता ने सीखा था और यह सामान्य बात भी है सबको पता था कि वो नीचे ही गिरता है लेकिन वो नीचे ही क्यों गिरता है? इस जिज्ञासा के मूल से वो ज्ञान पैदा हुआ जो न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण का सिद्धांत सिखाता है। इसलिए रहने (Living) के लिए शिक्षा जरूरी है और जीवन (Life) के लिए विद्या! आज की तिथि में लोग निष्णात (अच्छा ज्ञान रखनेवाला) हैं इसलिए लाइफ़ में पिछड़ापन (Failure) बढ़ रहा है!
“विद्या आपको मुक्त करती है जबकि शिक्षा आपको सीमित परिधि में बांधती है!” इसलिए हमारे यहां कहा जाता है कि –
“सा विद्या या विमुक्तये!”

अर्थात् विद्या वह है जो आपको मुक्ति दे! लेकिन भारतीय मनीषा के आधार पर उपनिषद कहता है कि –

“विद्या अमृतम् अश्नुते!”

अर्थात् विद्या आपको अमृत तत्व की तरफ ले जाती है। शिक्षा जल की तरह है जो आवश्यक है किन्तु विद्या जीवन की तरह है, जल जिसका एक केन्द्र है! (Employee) बनाने में और (Leader) बनाने में दो शब्दों का अंतर है। शिक्षा कर्मचारी (Employee) बनाती है जबकि विद्या (Leader) बनाती है।

जब भारत पर पहली बार विदेशी आक्रमणकारियों ने आक्रमण किया तब हम लोगों ने अपने छोटे-छोटे निजी स्वार्थों के लिए बंटकर अपने आप को कमज़ोर किया और आक्रमणों को राह दी अपने आप तक पहुंचने के लिए। जिससे देश कुछ टूट-सा गया था। इसके बाद दूसरा आक्रमण प्रारंभ हुआ जो भारत की बौद्धिकता पर हुआ। वो आक्रमण इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि ‘विद्या आपकी संस्कृति से जुड़ी है बल्कि शिक्षा आपकी संस्कृति से नहीं जुड़ी है!’ शिक्षा तो वैश्विक है क्योंकि विश्व की सारी संस्कृतियों में जिस प्रकार की शिक्षा दी जाती है वो उस जगह की अनुकूलता के साथ हो जाती है। विद्या आपके निजी संस्कार से जुड़ी है। कम्पनी चलाने के लिए आपको कर्मचारी चाहिए लेकिन परिवार और समाज का नेतृत्व करने के लिए एक लीडर चाहिए।

इसका मुख्य कारण भारतीय शिक्षा पद्धति है क्योंकि लार्ड मैकाले ने ब्रिटेन की संसद में कहा था कि – “मैंने पूरा भारत घूमा है और जाना है कि हम उन पर शासन नहीं कर सकते अगर हमें उन पर शासन करना है तो हमें उनकी शिक्षा नीति पर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहिए उनमें कमतरी का भाव भरिए अर्थात् शिक्षा नीति में बदलाव कीजिए!”

– अशांजल यादव

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 6 Comments · 486 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"बहरापन"
Dr. Kishan tandon kranti
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
अध्यापक:द कुम्भकार
अध्यापक:द कुम्भकार
Satish Srijan
2883.*पूर्णिका*
2883.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कविता -
कविता - " रक्षाबंधन इसको कहता ज़माना है "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
भारत में धार्मिक राजनीति प्रबल है यहां मंदिर और मस्जिद का नि
भारत में धार्मिक राजनीति प्रबल है यहां मंदिर और मस्जिद का नि
Rj Anand Prajapati
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
“ फौजी और उसका किट ” ( संस्मरण-फौजी दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
5. इंद्रधनुष
5. इंद्रधनुष
Rajeev Dutta
चित्र और चरित्र
चित्र और चरित्र
Lokesh Sharma
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: ओं स्वर रदीफ़ - में
Neelam Sharma
☺️
☺️
*प्रणय*
रंगीला संवरिया
रंगीला संवरिया
Arvina
भारत की गौरवभूमि में जन्म लिया है
भारत की गौरवभूमि में जन्म लिया है
Sonam Puneet Dubey
तुम्हें पाने के बाद मुझे सिर्फ एक ही चीज से डर लगता है वो है
तुम्हें पाने के बाद मुझे सिर्फ एक ही चीज से डर लगता है वो है
Ranjeet kumar patre
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
VEDANTA PATEL
चूरचूर क्यों ना कर चुकी हो दुनिया,आज तूं ख़ुद से वादा कर ले
चूरचूर क्यों ना कर चुकी हो दुनिया,आज तूं ख़ुद से वादा कर ले
Nilesh Premyogi
पहले प्रेम में चिट्ठी पत्री होती थी
पहले प्रेम में चिट्ठी पत्री होती थी
Shweta Soni
स्थापित भय अभिशाप
स्थापित भय अभिशाप
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
घमंड
घमंड
Adha Deshwal
हमेशा कुछ ऐसा करते रहिए जिससे लोगों का ध्यान आपके प्रति आकषि
हमेशा कुछ ऐसा करते रहिए जिससे लोगों का ध्यान आपके प्रति आकषि
Raju Gajbhiye
आओ फिर से हम बिछड़ते हैँ
आओ फिर से हम बिछड़ते हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लड़की अपने बॉयफ्रेंड से पूछती है
लड़की अपने बॉयफ्रेंड से पूछती है
Rituraj shivem verma
उसके क़दम जहां भी पड़ते हैं,
उसके क़दम जहां भी पड़ते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मनुष्य और प्रकृति
मनुष्य और प्रकृति
Sanjay ' शून्य'
काश...
काश...
हिमांशु Kulshrestha
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
Phool gufran
ना जाने कैसी मोहब्बत कर बैठे है?
ना जाने कैसी मोहब्बत कर बैठे है?
Kanchan Alok Malu
" मन भी लगे बवाली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मैं
मैं
Ajay Mishra
Loading...