शिक्षक साथियों को समर्पित
आदर करते जो सदा,ईश गुरू को मान ।
सदा सफलता का उन्हें,मिलता है वरदान ।।
शिक्षक से बढ़कर नहीं, इस में दुनिया में खास ।
जब अँधियारा घेर ले, शिक्षक बनता आस ।।
छोटे बालक भी भरें, ऊंची बहुत उड़ान ।
गुरूवर देता है उन्हें, जब शिक्षा का ज्ञान ।।
सफल हुई है ज़िन्दगी, ऐसा दिया तराश ।
ज्ञान गुरू से पा उड़े,नाप रहे आकाश ।।
नन्हें मुन्ने बाल भी, ऊंची भरे उड़ान ।
बिना पंख परवाज़ दे, ऐसा गुरु का ज्ञान ।।
भेद कभी करता नहीं, देता सबको ज्ञान ।
ऐसे गुरू को पूजता, खुद अपना भगवान ।।
गुरू बिना होता नहीं, बेड़ा कोई पार ।
हाथ गुरू सर पर रखें, खिल उठता संसार ।।
सदा झुकें सम्मान से, रखते में दिल भाव ।
नहीं कभी है डूबती, उन शिष्यों की नाव ।।
-श्रीभगवान बव्वा प्रवक्ता
अंग्रेजी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ,लुखी ,रेवाड़ी ।