शिकायत नही किसी से
शिकायत नही किसी से
खुद से ही शिकायत हैं
अपने लहजे से शिकायत है
अपने संस्कारों से शिकायत है
शिकायत है मेरे भोलेपन से
जो मैं आज के समाज से
जुड़ नही पाया
जुड़ नही पाया हूं पाप से
छल से या किसी दूषित पल से
बस शिकायत इसी बात से
जो में ये कर नही पता हूं
खुद छल का शिकार हो जाता हूं
पर किसी का शिकार कर नही पाता हू
जुड़ना चाहता हैं ये मन
आज के रंग से
पर हृदय मैं सत्यता भरी ये बस
सत्वकिता को अपनाता
शिकायत मुझे खुद से है
जो मैं जुड़ नही पाता