Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2021 · 1 min read

शिकवे-शिकायतें।

तूने दी ना कभी कोई आवाज़ मुझे,
मैने भी कभी तुझे पुकारा ना होगा,
चल मिलते है अहम को कर के किनारे,
कि गुज़रता ये पल फिर हमारा ना होगा।

शिकवे-शिकायतें सब रह जाएंगे यहीं पे,
कि कुछ भी यहां पे तेरा-मेरा ना होगा,
तेरी सुबह की शायद कभी रात न हो,
या मेरी रात का कभी फिर सवेरा ना होगा।

तय है मुलाकात मौत से एक दिन,
कि इसमें कहीं कोई रियायत नहीं,
हर बोझ से दिल हो हल्का ऐसे,
कि रह जाए ना बाकी कोई शिकायत कहीं।

-अंबर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
Tag: शेर
4 Likes · 2 Comments · 491 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक चतुर नार
एक चतुर नार
लक्ष्मी सिंह
"देखा था एक सपना, जो साकार हो गया ll
पूर्वार्थ
पुछ रहा भीतर का अंतर्द्वंद
पुछ रहा भीतर का अंतर्द्वंद
©️ दामिनी नारायण सिंह
नेता पलटू राम
नेता पलटू राम
Jatashankar Prajapati
चंचल मन
चंचल मन
Dinesh Kumar Gangwar
हां मैं दोगला...!
हां मैं दोगला...!
भवेश
3761.💐 *पूर्णिका* 💐
3761.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आईना
आईना
Sûrëkhâ
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
पलकों से रुसवा हुए, उल्फत के सब ख्वाब ।
sushil sarna
"रचती सुन्दर सृष्टि"
Dr. Kishan tandon kranti
विवशता
विवशता
आशा शैली
आप कभी 15% मनुवादी सोच को समझ ही नहीं पाए
आप कभी 15% मनुवादी सोच को समझ ही नहीं पाए
शेखर सिंह
नौकरी गुलामों का पेशा है।
नौकरी गुलामों का पेशा है।
Rj Anand Prajapati
कुछ तो बाकी है !
कुछ तो बाकी है !
Akash Yadav
वृक्षों के उपकार....
वृक्षों के उपकार....
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुझ जैसे शख्स को दिल दे बैठी हो,
मुझ जैसे शख्स को दिल दे बैठी हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रचना प्रेमी, रचनाकार
रचना प्रेमी, रचनाकार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
पहली बारिश मेरे शहर की-
पहली बारिश मेरे शहर की-
Dr Mukesh 'Aseemit'
मुझसे जुदा होके तू कब चैन से सोया होगा ।
मुझसे जुदा होके तू कब चैन से सोया होगा ।
Phool gufran
मेरा आसमां 🥰
मेरा आसमां 🥰
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अंधेरा छंट जाए _ उजाला बंट जाए ।
अंधेरा छंट जाए _ उजाला बंट जाए ।
Rajesh vyas
*धरती पर सब हों सुखी, सारे जन धनवान (कुंडलिया)*
*धरती पर सब हों सुखी, सारे जन धनवान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Casino 23Win mang đến không gian giải trí hiện đại với hàng
Casino 23Win mang đến không gian giải trí hiện đại với hàng
23Win
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
gurudeenverma198
मेरा बचपन
मेरा बचपन
Dr. Rajeev Jain
खैरात में मिली
खैरात में मिली
हिमांशु Kulshrestha
"अधूरा रिश्ता"
Yogendra Chaturwedi
"हमें चाहिए बस ऐसा व्यक्तित्व"
Ajit Kumar "Karn"
सूरज ढल रहा हैं।
सूरज ढल रहा हैं।
Neeraj Agarwal
महादान
महादान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...