Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2020 · 2 min read

शास्त्र और शस्त्र

शास्त्र और शस्त्र दोनों का ही स्थान समाज में अपरिहार्य है। जिस प्रकार से एक शास्त्रज्ञ व्यक्ति समाज की रक्षा करता है, वैसे ही उचित हाथों में स्थित शस्त्र भी संसार का त्राण करता है। ब्रह्मर्षि वशिष्ठ के मत में यह बात वर्णित है कि जिस क्षेत्र में एक भी धनुर्धर होता है, उसके आश्रय में शेष जन निर्भय होकर निवास करते हैं। धनुर्विद्या यजुर्वेद के उपवेदाधिकार के अन्तर्गत आती है। इसके प्राचीन आचार्यों में भगवान् शिव, परशुराम, विश्वामित्र, वशिष्ठ, द्रोण एवं शांर्गधर आदि प्रसिद्ध हैं। अधुना धनुर्विद्या मात्र एक क्रीड़ागत विषय हो सिमट कर रह गयी है। कुछ वनवासी समुदाय इसके परंपरागत स्वरूप को आज भी जीवित रखे हुए हैं।

युद्ध में अनेकों वर्णों तथा जातियों का समावेश होता है। मुख्य योद्धा समूह क्षत्रियों का ही होता है। युद्धस्थल में मर्यादा तथा शैली का शिक्षण ब्राह्मण करते हैं – धनुर्वेदे गुरुर्विप्रः। युद्धस्थल में अश्व, हाथी, रथ आदि का संचालन कोचवान्, सारथी, सूत, महावत आदि करते हैं। युद्ध का उपस्कर कर्मकार, लौहकार, असिनिर्माता आदि तैयार करते हैं – यजुर्वेद भी कहते हैं – नमस्तक्षभ्यो रथकारेभ्यश्च वो नमो नमः कुलालेभ्यः कर्मारेभ्यश्च। युद्ध में धर्मरक्षा के लिए चारों वर्णों के हितार्थ शस्त्राधिकार स्मृतियों से सिद्ध है।

आधुनिक युद्धशैली में भी संदिग्ध वस्तुओं को खोजने तथा अन्य संवेदनशील कार्यों के लिए कुत्तों का प्रयोग होता है – नमः श्वभ्यः श्वपतिभ्यश्च। पूर्वकाल में भी सैकड़ों सहस्रों योजनों तक मारक क्षमता रखने वाले अस्त्रों का परिविनियोग मन्त्रवेत्ता ऋषिगण करते हैं – तेषां सहस्रयोजनेऽव धन्वानि तन्मसि। समयानुसार ज्ञान विज्ञान की परम्परा का लोप एवं प्राकट्य होता रहा है। पूर्वकाल में विमान तथा प्रक्षेपास्त्रों का वर्णन शास्त्रों तथा संहिताओं में प्राप्त होता है जिससे उस समय के ज्ञान विज्ञान का बोध करना कठिन नहीं है। बीच में कालक्रम के प्रभाव से उनका लोप होना और आज पुनः आधुनिक विज्ञान के उत्कर्ष में उनका अंशतः प्रकटीकृत होना सिद्ध ही है। यजुर्वेद का अप्रतिरथ सूक्त तो पूर्णतया युद्ध को ही समर्पित है।

प्रस्तुत ग्रंथ दिव्यास्त्र विमर्शिनी अपने आप में आधुनिक समाज के लिये एक महत्वपूर्ण कृति है क्योंकि इसमें ज्ञानबीज के संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण लुप्तप्राय दिव्यास्त्रों के मन्त्र, स्वरूप, मर्यादा एवं विधानों का एकत्रीकरण किया गया है जो कि एक प्रशंसनीय तथा श्रमसाध्य कल्प है। संसार को आधिभौतिक, आधिदैविक तथा आध्यात्मिक पटलों पर अनेक दिव्य तत्व संचालित करते हैं जिनकी ऊर्जा तथा क्षमता समयानुसार दिव्यास्त्रों के रूप में परिलक्षित होती है। प्रस्तुत ग्रंथ में उनका यथासम्भव चित्रण भी सरलता से किया गया है।

अहिर्बुध्न्य, शरभेश्वर, दुर्वासा, भरद्वाज, नारद, शिव तथा नाथपंथीय सिद्धों के मत से दिव्यास्त्रों का जो स्वरूप एवं विधान वर्णित है, उनका मानवीय दृष्टि से यथासम्भव अवलोकन करके ग्रन्थकार श्रीभागवतानंद गुरु ने एक ही स्थान पर संकलित किया है जो कि अभी तक उपलब्ध तथा प्रकाशित पूर्वग्रन्थों में द्रष्टव्य नहीं होता है। आचार्य अरुण पाण्डेय जी ने उनका शब्दानुशासन परिमार्जित करके श्लाघनीय कृत्य किया है अतः वे भी धन्यवाद के पात्र हैं। मैं आचार्यद्वय के मङ्गल तथा ज्ञानाभिवर्धन की कामना करता हूँ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 329 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खिचड़ी
खिचड़ी
Satish Srijan
अम्बेडकरवादी हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
अम्बेडकरवादी हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
बहुत से लोग तो तस्वीरों में ही उलझ जाते हैं ,उन्हें कहाँ होश
बहुत से लोग तो तस्वीरों में ही उलझ जाते हैं ,उन्हें कहाँ होश
DrLakshman Jha Parimal
कितने एहसास हैं
कितने एहसास हैं
Dr fauzia Naseem shad
हाँ मैन मुर्ख हु
हाँ मैन मुर्ख हु
भरत कुमार सोलंकी
जब से देखा है तुमको
जब से देखा है तुमको
Ram Krishan Rastogi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
योग का एक विधान
योग का एक विधान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
कसम खाकर मैं कहता हूँ कि उस दिन मर ही जाता हूँ
Johnny Ahmed 'क़ैस'
आज खुश हे तु इतना, तेरी खुशियों में
आज खुश हे तु इतना, तेरी खुशियों में
Swami Ganganiya
#शर्माजीकेशब्द
#शर्माजीकेशब्द
pravin sharma
मैंने बार बार सोचा
मैंने बार बार सोचा
Surinder blackpen
2833. *पूर्णिका*
2833. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गाँधीजी (बाल कविता)
गाँधीजी (बाल कविता)
Ravi Prakash
किया आप Tea लवर हो?
किया आप Tea लवर हो?
Urmil Suman(श्री)
ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा....
ग़ज़ल _रखोगे कब तलक जिंदा....
शायर देव मेहरानियां
* माई गंगा *
* माई गंगा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Gazal
Gazal
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
भारत का लाल
भारत का लाल
Aman Sinha
कुछ यादें जिन्हें हम भूला नहीं सकते,
कुछ यादें जिन्हें हम भूला नहीं सकते,
लक्ष्मी सिंह
कितना रोका था ख़ुद को
कितना रोका था ख़ुद को
हिमांशु Kulshrestha
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
आर.एस. 'प्रीतम'
दीपावली की असीम शुभकामनाओं सहित अर्ज किया है ------
दीपावली की असीम शुभकामनाओं सहित अर्ज किया है ------
सिद्धार्थ गोरखपुरी
स्वप्न ....
स्वप्न ....
sushil sarna
मैं उसके इंतजार में नहीं रहता हूं
मैं उसके इंतजार में नहीं रहता हूं
कवि दीपक बवेजा
आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
आओ करें हम अर्चन वंदन वीरों के बलिदान को
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"तलबगार"
Dr. Kishan tandon kranti
पता नहीं था शायद
पता नहीं था शायद
Pratibha Pandey
* सखी  जरा बात  सुन  लो *
* सखी जरा बात सुन लो *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भजन
भजन
सुरेखा कादियान 'सृजना'
Loading...