शायर की जुबां में बोलूँ अगर
शायर की जुबां में बोलूं अगर, संसार है मेरा दीवाना।
इंसान मैं बनकर बात करूं, रूठेगा सारा जमाना।।
शायर की जुबां में बोलूं —————————–।।
ऐसे भी मिले हैं मुझको यहाँ, जो करते हैं बातें अमन की।
चेहरे वो बहुत महशूर है, जो करते हैं खेती अनल की।।
मैं करता नहीं उनकी तारीफ, जिनका है शौक सबको ठगना।
शायर की जुबां में बोलूं ———————————–।।
नाराज नहीं दिलवालों से, कहता हूँ तुम खूब प्यार करो।
जज्बात मगर दिल के समझो, मोहब्बत में तुम इकरार करो।।
गर प्यार तुम्हारा जायज है, लिखूंगा तुम्हारा अफसाना।
शायर की जुबां में बोलूं ——————————।।
इन वेश बदलने वालों से, हे जगवालों जरा दूर रहो।
मत पास बिठाओ गद्दारों को, इनकी सोहबत से दूर रहो।।
हाँ, अमर सिर्फ वो ही होगा, जिसका है हिंदुस्तानी बाना।
शायर की जुबां में बोलूं ——————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)