शायरी
जिस्म की गहरईओं में तो डूबता है जिस्म
दिल को जरा सोच कर ही डूबाना इस में
वासना, इशक का गहरा है यह समंदर
फिर न निकल पाना, सोच के डूबना इसमें !!
जैसे अस्पताल से नहीं छूटता डक्टर के कोट से
कौर्ट से नहीं बच पता वहां वकील के काले कोट से
यह दो कोट ही कुछ ऐसे हैं सब जानते हैं इनका चलन
फिर तीसरे में डूबना, तो जरा सोच के डूबना इश्क में !!
अजीत