शायरी
शायरी
आदत हो गई हैं धोखा खाने की
अब आँखों में नमी नहीं होती
बहुत यकीं की मैंने अपनी यकीं पर
अब खुद पर यकीं नहीं होती……,,,,
✍️पुष्पराज देवहरे “भारतवासी “
शायरी
आदत हो गई हैं धोखा खाने की
अब आँखों में नमी नहीं होती
बहुत यकीं की मैंने अपनी यकीं पर
अब खुद पर यकीं नहीं होती……,,,,
✍️पुष्पराज देवहरे “भारतवासी “