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24 Jun 2024 · 1 min read

शायरी-संदीप ठाकुर

सड़ रही है उदासी तनहाई
शाम ताज़ा घुटन नहीं लाई
फिर नए ज़ख़्म ले के याद तिरी
आने वाली थी पर नहीं आई
संदीप ठाकुर

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