सड़ रही है उदासी तनहाई-संदीप ठाकुर
सड़ रही है उदासी तनहाई
शाम ताज़ा घुटन नहीं लाई
फिर नए ज़ख़्म ले के याद तिरी
आने वाली थी पर नहीं आई
संदीप ठाकुर
सड़ रही है उदासी तनहाई
शाम ताज़ा घुटन नहीं लाई
फिर नए ज़ख़्म ले के याद तिरी
आने वाली थी पर नहीं आई
संदीप ठाकुर