शायरी संग्रह नई पुरानी शायरियां विनीत सिंह शायर
मुँह फेर कर उसकी गली से गुज़रते हो
मिजाज़ में इतनी सख़्ती भी ठीक नहीं है
हम कह रहे हैं आदमी ये धोकेबाज़ है
हमसे ज़ियादा हमको नहीं जानती हैं आप
दुनियाँ ने कर दी है आगाज़ ए बग़ावत
क्यों देर है फिर आप भी पत्थर उठाइए
आप के रहते हमें किस की ज़रुरत थी भला
आया ख़ुदा भी याद हमें आपके जाने के बाद
जमाना दे रहा है हमारी इश्क़ की मिसाल
शायद किसी ने हम को लड़ते नहीं देखा
~विनीत सिंह शायर
Vinit Singh Shayar