दिल के जज़्बात
दिल में है जो कुछ भी
उसको बयां कर दो
अपने भावों को तुम
अब तो रिहा कर दो।।
क्यों दे रहे हो सज़ा उनको
जिनका कोई कसूर नहीं
आंसुओं को जो कैद किया है
उनका भी कोई कसूर नहीं।।
दिल के जज़्बात जो है
वो बाहर निकलने चाहिए
दो दिल अगर चाहते है
तो वो भी मिलने चाहिए।।
क्यों बने बैठे हो दीवार तुम
इतना तो तुम्हें भी समझना चाहिए
अगर वो दोनों चाहते हैं तो
इस दीवार को भी टूटना चाहिए।।
मत ढाओ जुल्म इन आंखों पर
सैलाब इनका अब तुम, बह जाने दो
मत रोको इस दिल को तुम अब
इसमें जो आना चाहता है, आने दो।।
खुश रखोगे दिल को तुम
तभी खुद भी खुश रह पाओगे
खाली हाथ ही आए थे तुम
एक दिन खाली हाथ ही जाओगे।।