“शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
“शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
तिलक भाल पर नित्य लगाना, भजन आरती भी गाना।।
पूजा पूरी मत मानो वह, नहीं देव गुण अपनाए;
स्वाद वस्तु का पढ़े न मिलता, चखकर ही सबको आए।।”
आर.एस. ‘प्रीतम’
“शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
तिलक भाल पर नित्य लगाना, भजन आरती भी गाना।।
पूजा पूरी मत मानो वह, नहीं देव गुण अपनाए;
स्वाद वस्तु का पढ़े न मिलता, चखकर ही सबको आए।।”
आर.एस. ‘प्रीतम’