Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2021 · 1 min read

शहर के लोग हैं

—————————————————
इस शहर को लूटने वाले इस शहर के लोग हैं।
लौह के मोटे कवच को काँच करदे ये लोग हैं।
लूटना फितरत है इनकी,लूट से बचने जतन,
कह के लूटे जा रहे, खत्म हो तो हो अमन।
अब नहीं अंगार को भी शर्म सा कुछ हो रहा।
क्योंकि जिन हाथों में माचिस है,शहर के लोग हैं।
जो बुझाने जा रहे हैं आग वे खुद भयंकर आग हैं।
और मनुष्यों की नस्ल में बदनुमा एक दाग हैं।
झूठ के चिकने तवे पर रोटियाँ लेते हैं सेंक।
सत्य को गुमनाम कर दे इस शहर के लोग हैं।
रोग से बचने की है अनिवार्यता,अनिवार्य से भी बड़ी।
परम्पराओं को निभाने की नहीं थी कोई मजबूरी अभी।
सभ्यता और संस्कृति के नाम पर दु:ख बाँटने वाले ये लोग।
इस शहर को लूटने वाले इस शहर के लोग हैं।
— ——

245 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
"शाम की प्रतीक्षा में"
Ekta chitrangini
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
Dr. Rashmi Jha
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जिन्दगी में फैसले अपने दिमाग़ से लेने चाहिए न कि दूसरों से पू
जिन्दगी में फैसले अपने दिमाग़ से लेने चाहिए न कि दूसरों से पू
अभिनव अदम्य
'शत्रुता' स्वतः खत्म होने की फितरत रखती है अगर उसे पाला ना ज
'शत्रुता' स्वतः खत्म होने की फितरत रखती है अगर उसे पाला ना ज
satish rathore
क्रेडिट कार्ड
क्रेडिट कार्ड
Sandeep Pande
इश्क़-ए-क़िताब की ये बातें बहुत अज़ीज हैं,
इश्क़-ए-क़िताब की ये बातें बहुत अज़ीज हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"मंजिलें"
Dr. Kishan tandon kranti
सब अनहद है
सब अनहद है
Satish Srijan
पूर्णिमा का चाँद
पूर्णिमा का चाँद
Neeraj Agarwal
I find solace in silence, though it's accompanied by sadness
I find solace in silence, though it's accompanied by sadness
पूर्वार्थ
*मैं, तुम और हम*
*मैं, तुम और हम*
sudhir kumar
अतिथि देवोभवः
अतिथि देवोभवः
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जीवनमंथन
जीवनमंथन
Shyam Sundar Subramanian
*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
*गुड़िया प्यारी राज दुलारी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
2829. *पूर्णिका*
2829. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#कड़े_क़दम
#कड़े_क़दम
*Author प्रणय प्रभात*
★गैर★
★गैर★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
रिश्तों में झुकना हमे मुनासिब लगा
रिश्तों में झुकना हमे मुनासिब लगा
Dimpal Khari
हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
हंसी आ रही है मुझे,अब खुद की बेबसी पर
Pramila sultan
कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
कभी चाँद को देखा तो कभी आपको देखा
VINOD CHAUHAN
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
कवि दीपक बवेजा
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
खुशी ( Happiness)
खुशी ( Happiness)
Ashu Sharma
तो तुम कैसे रण जीतोगे, यदि स्वीकार करोगे हार?
तो तुम कैसे रण जीतोगे, यदि स्वीकार करोगे हार?
महेश चन्द्र त्रिपाठी
प्रभु की शरण
प्रभु की शरण
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
वृंदा तुलसी पेड़ स्वरूपा
वृंदा तुलसी पेड़ स्वरूपा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
रिश्ते का अहसास
रिश्ते का अहसास
Paras Nath Jha
Loading...