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20 Mar 2018 · 1 min read

शर्मो-हया ………

हया तेरे निगाहों की, तेरी हर राज़ कह गई
जो थी दिल में दफन अब तक ,वो सारी बात कह गई।

निगाहों में हया का रंग सुरख लाल ग़हरा था
तो आए बात वो कैसे, जो अब तक लब पे ठहरा था।

कोशिशें हजार की मैंने , तुझसे नज़रें मिलानें की
दबी थी बात जो लब पे, वो सब कुछ तुझे बताने की ।

शर्मो-हया के आँचल तले ,नज़रें चुराना तेरा
खामोश लहज़े मे, दिल के एहसास कह गई …….
जो थी दिल में दफ़न अब तक, वो सारी बात कह गई।।
:- आकिब ज़मील (कैश)

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