Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2024 · 1 min read

तेरा ग़म

आप वो ख्वाब जिंदगी में दिखाते न कभी
हम भी फिर आप पे हक़ यूँ जताते न कभी

हमने तो आपको इक नूर -ए- फरिश्ता समझा
वर्ना हमराज़ तुम्हे हम भी बनाते न कभी

किसी की जाने से यूँ दर्द, ग़म का मिलता है
हम ये दिल आपसे जिंदगी में लगाते न कभी

हमने ये सोचा हमसफ़र तुम बनोगे मेरे
वर्ना दिल आपकी राहों में बिछाते न कभी

तुमने ग़र चाहा जो होता एक पल भी सनम
तुम मुझे छोड़ के यूँ ग़म में जाते न कभी

मैं तेरे याद में इक पल कभी ठहरा नहीं
नहीं तो आप मुझे ऐसे रुलाते न कभी

नाम लिख़ा जो मेरा होता दिल के कोने में
नाम मेरा यूँ तुम मिटाते न कभी

Language: Hindi
1 Like · 21 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कवियों का अपना गम...
कवियों का अपना गम...
goutam shaw
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
जीवन में सही सलाहकार का होना बहुत जरूरी है
जीवन में सही सलाहकार का होना बहुत जरूरी है
Rekha khichi
गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
मेरे जीवन के इस पथ को,
मेरे जीवन के इस पथ को,
Anamika Singh
बोलो_क्या_तुम_बोल_रहे_हो?
बोलो_क्या_तुम_बोल_रहे_हो?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
छठ परब।
छठ परब।
Acharya Rama Nand Mandal
सोने के भाव बिके बैंगन
सोने के भाव बिके बैंगन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कहो जय भीम
कहो जय भीम
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
गिल्ट
गिल्ट
आकांक्षा राय
खुशी पाने की जद्दोजहद
खुशी पाने की जद्दोजहद
डॉ० रोहित कौशिक
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
जब से हमारी उनसे मुलाकात हो गई
Dr Archana Gupta
ऐ ज़ालिम....!
ऐ ज़ालिम....!
Srishty Bansal
हिन्दु नववर्ष
हिन्दु नववर्ष
भरत कुमार सोलंकी
कामयाब लोग,
कामयाब लोग,
नेताम आर सी
वसंत के दोहे।
वसंत के दोहे।
Anil Mishra Prahari
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
मृदा प्रदूषण घातक है जीवन को
Buddha Prakash
हमेशा तेरी याद में
हमेशा तेरी याद में
Dr fauzia Naseem shad
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
मेला झ्क आस दिलों का ✍️✍️
मेला झ्क आस दिलों का ✍️✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दोहा मुक्तक -*
दोहा मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
" तितलियांँ"
Yogendra Chaturwedi
जब भी बुलाओ बेझिझक है चली आती।
जब भी बुलाओ बेझिझक है चली आती।
Ahtesham Ahmad
लक्ष्य हासिल करना उतना सहज नहीं जितना उसके पूर्ति के लिए अभि
लक्ष्य हासिल करना उतना सहज नहीं जितना उसके पूर्ति के लिए अभि
Sukoon
तुम से सिर्फ इतनी- सी इंतजा है कि -
तुम से सिर्फ इतनी- सी इंतजा है कि -
लक्ष्मी सिंह
"कवि"
Dr. Kishan tandon kranti
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
Bodhisatva kastooriya
जब घर से दूर गया था,
जब घर से दूर गया था,
भवेश
पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
पिछले 4 5 सालों से कुछ चीजें बिना बताए आ रही है
Paras Mishra
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
पूर्वार्थ
Loading...