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31 Mar 2022 · 1 min read

शर्मिंदा हूँ मैं

साँस चल रही है और ज़िंदा हूँ मैं
गैरों को वक़्त देकर शर्मिंदा हूँ मैं
जो मुझे अबतक समझ नहीं पाए हैं
उनकी खटकती नज़रों में निंदा हूँ मैं।।

घुट-घुट कर जी रहा हूँ और ज़िंदा हूँ मैं
उजड़ गए आशियाँ फिर भी परिंदा हूँ मैं
जो मुझे समझ गए है अच्छी तरह से
उनके प्यार भारी नज़रों में चुनिंदा हूँ मैं।।

Language: Hindi
1 Like · 207 Views
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