शराब की महिमा
ये शराब तो कितनों की बत्ती गुल कराती है।
खर्चे भी अनगिनत ही ये फिजूल कराती है।
जब चढ़ती है ये अपने असली शबाब पर तो,
अच्छे – अच्छे लोगों से भी कई भूल कराती है।
नाच – गाना ,सिनेमा अच्छा लगे न लगे लेकिन,
शराबियों का ड्रामा भी पैसा वसूल कराती है।
ताकत होती है इसमें कितना ज्यादा मत पूछो,
ये धूल को मोती और मोती को धूल कराती है।
इसके भी रंग – रूप हैं अनेक ऐ मेरे दोस्तों,
तोड़े प्यार कभी तो कभी प्यार कबूल कराती है।