शराफत नहीं अच्छी
शराफ़त नहीं ये अच्छी गुमनाम ही रहने दो
लियाकत नहीं ये अच्छी गुमनाम ही रहने दो
हर आदमी के दिल में लौ प्यार की जलती है
मोहब्बत नहीं है अच्छी गुमनाम ही रहने दो
शराफत नहीं अच्छी……………
ख्वाबों व खयालों की दूनियाँ में नहीं रहना है
हकीकत नहीं है अच्छी गुमनाम ही रहने दो
शराफत नहीं है अच्छी……………
रहमो-करम के जहाँ में हम सब ही रह रहे हैं
इनायत नहीं है अच्छी गुमनाम ही रहने दो
शराफत नही है अच्छी…………..
धर्म में बंटकर ‘विनोद’ इंसानियत को भूल हैं
इबादत नहीं है अच्छी गुमनाम ही रहने दो
शराफत नहीं है अच्छी……………
स्वरचित
विनोद चौहान