“शब्द”
“शब्द”
लौटते नहीं शब्द कभी
कितनों करिए दावा,
जो निकले मुँह से अगर
लाख करो पछतावा।
आज कलम के युग में देखो
शब्दों के कारोबार,
शब्दों से ही जुड़-टूट जाते
शब्दों को सम्हार।
“शब्द”
लौटते नहीं शब्द कभी
कितनों करिए दावा,
जो निकले मुँह से अगर
लाख करो पछतावा।
आज कलम के युग में देखो
शब्दों के कारोबार,
शब्दों से ही जुड़-टूट जाते
शब्दों को सम्हार।