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21 May 2021 · 1 min read

#शब्द-महिमा

दो शब्द प्रशंसा के सुनके,फूले नहीं समाते हैं।
संजीवनी शक्ति बनके ये,भाव नये उपजाते हैं।।
सत्यकथन पर उर-शाबाशी,देना कभी न तुम भूलो;
उत्साहित हो इन शब्दों से,कुछ अंबर छू जाते हैं।।

मीठे शब्दों के मरहम ही,अंतर दर्द मिटाते हैं।
मीठे शब्दों के जादू ही,अंतर दूर भगाते हैं।।
दोनों ओर उजाला करके,मन सबके ये हर्षाएँ;
शब्द-बहारों के आने से,दिल-गुलशन खिल जाते हैं।।

शब्दों में ही जीत छिपी है,हार शब्द करवाते हैं।
सोच समझ कर शब्द चुनों तुम,छूटे तीर न आते हैं।।
सच्चे मोती दे शब्दों के,धनाढ्य तुम कहलाओगे;
शब्द प्रेरणा जिनके हों वो,उतर रूह में जाते हैं।।

शब्द अमर करते मानव को,पूजाफल भी पाते हैं।
स्वर्ण-हिरण को देख धरा पर,राम यहाँ छल जाते हैं।।
शुभ शब्दों के झरने प्रीतम,छिपा कहाँ ले जाओगे;
इन झरनों के झरने से ही,शोभित नग हो जाते हैं।।

#आर.एस.’प्रीतम’

Language: Hindi
355 Views
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