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8 Apr 2024 · 1 min read

“शब्दों का सफ़र”

“शब्दों का सफ़र”
शब्दों का सफर अजीब है
उन्हें आहें भरते देखा
शब्दों को भी जनमते
जीते और मरते देखा।
कल तक अपने हुस्न पर
अति इतराया था जिसने
उसी कलकत्ता बाम्बे और
मद्रास को मरते देखा।

3 Likes · 3 Comments · 143 Views
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