शबरी की भक्ति
शबरी के नैन ,
देख रहे थे राह प्रभु की दिन रैन ।
मन में थी बस इक चाह ,
पधारें प्रभु उसकी राह ।
मन उसका भक्ति में खो जाए ,
प्रभु को वो अपने पुकार लगाए ,
उठ – उठ कर देखे हर बार ,
करे ना बंद कुटिया का द्वार,
जाने किस घड़ी जाएँ प्रभु पधार ।
जीवन रहा था ढल ,
था इंतज़ार प्रभु का हर पल ,
श्री राम के लिए ही साँस रही थी चल ,
था उत्सुक मन पाने को भक्ति फल ।
दूर – दूर तक शबरी निहारे डगर ,
तभी आए प्रभु नज़र ,
पावन हुआ जंगल ,
चारों ओर छाया मंगल ।
फैल गई भक्ति की सुगंध ,
देख प्रभु को हुई शबरी मुग्ध ,
नैन बस प्रभु को निहारते ,
मुख से उसके बोल न फूटते ।
श्रद्धा के फूल पथ पर बिछाए ,
आँचल से राह की धूल हटाए ,
धो चरणों को फूलों का लेप लगाए ,
बेसुध हो शबरी बेर खिलाए ,
देख प्रभु को फूली न समाए ।
अद्भुत था ये अहसास ,
चल रही थी जिनके लिए साँस ,
खड़े थे वो भाग्य विधाता आज पास ,
भक्त जब भी मन से पुकारे ,
आते हैं श्री राम द्वारे ,
मिटते सांसारिक कष्ट सारे ,
लग जाती जीवन नाव किनारे ,
लग जाती जीवन नाव किनारे ।
राम सियाराम सियाराम जय जय राम 🎶🎵🎶
राम सियाराम सियाराम जय जय राम 🎶🎵🎶
इंदु नांदल विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित ✍️