शबनम की बूँदें
शशिप्रभा सी चमकती
सफेद तुषार सी शीतल
सर्द समीर की आद्रता
जो निश्चला के तल पर
महीन जलकण या फिर
तुहिन से कणों स्वरूप
सुन्दर पावक पारदर्शी
शबनम की शुद्ध साफ
पुनित और निर्मल बूँदें
जब पौधों की कोमल
पत्तियों पर जम जाती हैं
कर है देती उन पर्णों को
पाप और दोष रहित
पाक साफ तरोताजा
सुन्दर और आकर्षक
बिल्कुल वैसी ही परिपाटी
और रीति के अनुसार
ईश्वरीय आराधना से
और ध्यानाकर्षण से
प्राप्त ज्ञानासागर की
ध्यान,ज्ञान की बूँदें जब
मानव मष्तिष्क के अन्दर
प्रवेश करती हैं और फिर
बना देती हैं मनुज के
विचलित और व्यथित
मन को स्थिर और शान्त
और मानव शरीर को
दोष और पापरहित
पाक साफ हल्का और
एक सीधा सच्चा ईन्सान
सुखविंद्र सिहं मनसीरत